CPC Section- 5, Section- 6, Section- 7



इससे पहले पोस्ट में हमने न्यायालयों के क्षेत्राधिकार यानी धारा 3 के बारे में पढ़ा था आज हम धारा 5,6,7,8 के बारे में पढ़ेंगे

CPC Section- 5- राजस्व न्यायालय पर संहिता की प्रयोज्यता -

न्यायालय की श्रृंखला में राजस्व न्यायालय भी आते हैं राजस्व न्यायालय से अभिप्राय उस न्यायालय से हैं जो कृषि प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त भूमि से भाटक में राजस्व या लाभो से सम्बन्धित वादो या अन्य कार्यवाहियों को ग्रहण करने का क्षेत्राधिकार किसी स्थानीय विधि के अधीन रखता हैं। 

धारा 5 के अनुसार जहाँ प्रक्रिया विषयों में राजस्व न्यायालयों को शासित करने वाले विशेष उपबंध नहीं हैं वहाँ सिविल प्रक्रिया संहिता के उपबंध लागू होगे। 

लेकिन राज्य सरकार राजकीय अधिपत्र में अधिसूचना द्वारा घोषित कर सकेगी- कि इस संहिता का कोई उपबंध राजस्व न्यायालयों पर प्रयोज्य नहीं होगे।

Section- 6- धन सम्बन्धी अधिकारिता-

कोई न्यायालय केवल उन्हीं वादो पर क्षेत्राधिकार रखेगा जिसकी विषय वस्तु की रकम या उसका मूल्य स्वयं अपने आर्थिक क्षेत्राधिकार की सीमाओं से अधिक न हो। 
उदाहरण - सिविल न्यायाधीश 25.000 रूपये की अधिक की विषय वस्तु के मामले में विचारण न कर सकेगा।

- मोटरसाइकिल

-राजदूत द्वारा 10 हजार का सामान खरीदा जाना।

Section- 7-  प्रान्तीय लघुवाद न्यायालय (Provincial Small Cause Court) 

प्रान्तीय लघुवाद न्यायालय अधिनियम 1887 के अधीन सम्बधित गठित न्यायालयों पर निम्न लिखित उपबंध लागु नहीं होंगे 
(A) इस संहिता के पाठ के उतने अंश जो

(1) लघुवाद न्यायालय के प्रसंज्ञान से वर्जित वाद ।

(2) ऐसे वादोंकी आज्ञप्तियों डिकी के निष्पादन।

(3) स्थावर सम्पति के विरुद्ध डिकी के निष्पादन से सम्बधित और

(B) निम्न धाराएं- धारा- 9. 91, 92, 96-112 तथा धारा 115, धारा 94 एवं 95 जहाँ तक वे

(1) अचल सम्पति की कुर्की का आदेश।

(2) व्यादेश

(3) अचल सम्पति के प्रापक की नियुक्ति।

Section- 8-  प्रेसीडेन्सी लघुवाद न्यायालय

 प्रान्तीय लघुवाद न्यायालय की तरह प्रेसीडेन्सी लघुवाद न्यायालय पर भी इस सहिता के प्रावधान लागू नहीं  होते हैं  परन्तु बम्बई मद्रास, कलकत्ता, उच्च न्यायालय राजपत्र में सूचना द्वारा इस संहिता की प्रकिया को लघुवाद न्यायालय पर भी लागू कर सकते है। जो इस संहिता से असंगत न हो।