Police Remand (पुलिस हिरासत) व JC (न्यायिक हिरासत) में क्या अंतर है?
हिरासत का मतलब होता है, किसी को अवरुद्ध करके रखना या बंधन में रखना जिसको न्यायालय की भाषा में रिमांड कहते है।
रिमांड शब्द का मतलब पुलिस द्वारा पिटाई नही होता, जैसा अक्सर लोग समझते है। रिमांड का मतलब भी बंधन में रखना या अवरुद्ध करके रखना ही होता है। वो बात अलग है कि पुलिस बंधन में रखने के दौरान गैरकानूनी रूप से मारपीट करती है,
अब आप समझ ही गए है कि रिमांड, हिरासत, बंधन में रखना एक ही बात है तो अब आपको बताता हूँ कि पुलिस हिरासत आखिर होती क्या है ?
जब भी कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को केवल पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन में बुलाता है और उसको बिठाए रखता है या सिर्फ पूछताछ करता है, तथा व्यक्ति के जवाब से संतुष्ट होता है और व्यक्ति के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज नही करता है तो ऐसी अवधि जो व्यक्ति ने पुलिस स्टेशन में बिताई है वो पुलिस हिरासत नही कहलाती।
पुलिस हिरासत गिरफ्तारी से शुरू जब मानी जाती है जब गिरफ्तार व्यक्ति की गिरफ्तारी लिखित हो तथा ऐसे आरोपी के खिलाफ या तो कोई पुराना आपराधिक मामला दर्ज हो या नया मामला पुलिस दर्ज करे। आपराधिक मामला एफ.आई.आर रिपोर्ट द्वारा दर्ज होता है।
अब जैसे ही पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी लिखित में दिखाई तो उसको आरोपी की गिरफ्तारी का टाइम तथा डेट डालना पड़ता है। और डाले गए समय से 24 घंटो के अंदर पुलिस को गिरफ्तार अभियुक्त को संबंधित मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेश करना होता है। परंतु पुलिस 24 घंटो से ज्यादा का भी समय ले सकती है अभियुक्त को पेश करने के लिए, बस 24 घंटो बाद पेश करने पर पुलिस को मजिस्ट्रेट को उचित कारण बताना होता है कि क्यों गिरफ्तारी के 24 घंटो के अंदर अभियुक्त को कोर्ट में पेश नही किया गया।
उदाहरण के लिए। किसी अभियुक्त ने दिल्ली में कोई अपराध किया और वो मुम्बई से दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया तो ये कारण उचित कारण होगा कि क्यों अभियुक्त को गिरफ्तारी के 24 घंटो के अंदर कोर्ट में पेश नही किया गया। क्योंकि मुम्बई से गिरफ्तार करके दिल्ली लाने में 24 घण्टो से ज्यादा समय लग सकता है।
इसलिए गिरफ्तारी के बाद तथा कोर्ट में आरोपी को पेश करने के बीच का जो समय है, उतने समय तक आरोपी को बंधन में, यानी हिरासत में जो पुलिस रखती है उसी को पुलिस हिरासत कहते है।
संक्षेप में सार यह हैं की पुलिस स्टेशन में गिरफ्तारी के बाद बिताया समय पुलिस हिरासत कहलाता है, तथा जेल जाने को न्यायिक हिरासत कहते है। क्योंकि जेल केवल कोर्ट भेज सकता है पुलिस नही।
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